सुसाइड करने का खयाल अपने दिमाग से निकाले | जीवन बदल देने वाली कहानी जरूर पढ़ें
एक व्यक्ति पहाड़ से कूद कर अपनी जान देने जा रहा था। उसी पहाड़ पर एक सन्यासी रहते थे. सन्यासी ने उस व्यक्ति को देखा और कहा-रुको ये तुम क्या कर रहे हो,
व्यक्ति ने कहा- अब मत पूछो की मैं क्या करने जा रहा हूँ। बस जीवन में अब जीने योग्य कुछ नहीं रहा। ऊपर वाले ने कुछ नहीं दिया, वो भी पैसे वालों का ही है। भगवान भी भेद भाव करते है। मेरे पास अब कुछ नहीं बचा अब मैं अपने जीवन को समाप्त कर लूंगा।
संन्यासी ने कहा ठीक है मैं तुम्हें नहीं रोकूंगा लेकिन जाने से पहले मेरा एक काम कर दो। वैसे भी तुम मरने वाले हो और तुम्हारा शरीर नष्ट होने वाला है। मैं एक ऐसे व्यक्ति को जानता हूँ जो बेहद पैसे वाला है उसके पास आँखें नहीं है अगर तुम उसे अपनी आँखें दे दो तो, मैं बदले में तुम्हें करोड़ों रुपए दिलवा सकता हूँ. सन्यासी उस व्यक्ति को, अंधे अमीर व्यक्ति के पास लेकर आता है।
अंधा व्यक्ति उससे कहता है- तो बताओ, तुम कितने रुपए में अपनी आँखें दोगे व्यक्ति, सन्यासी से कहता है ये कैसे पागलों वाली बात है भला मैं जीते जी अपनी आखें कैसे
दे सकता हूँ। सन्यासी ने कहा तुमने तो कहा था कि मेरे पास कुछ नहीं है भगवान ने सब कुछ छीन लिया तो फिर आखों के जाने से क्या फर्क पड़ेगा।
अवचेतन मन की शक्ति का उपयोग करना सीखें। आपका जीवन बदल जाएगा।
तुम आँखें दे दो और मुह मांगे पैसे ले लो और फिर मैं उसी पहाड़ी के किनारे तुम्हें छोड़ दूंगा फ़िर तुम वहां से कूद जाना।
व्यक्ति ने कहा तुम एक पागल और सनकी सन्यासी हो.
सन्यासी ने कहा-पागल मैं नहीं तुम हो। तुमने ही कहा था भगवान ने कुछ नहीं दिया। और अब तुम्हें आखों के बदले मुंहमांगी कीमत मिल रही है तो तुम मना कर रहे हो।
व्यक्ति समझ जाता है कि सन्यासी उसे यहां क्यों लेकर आया है और व्यक्ति को एहसास होता है कि उसने क्या गलती की। जिस आखों को वो मुहमांगी कीमत में भी न बेच पाया। उन कीमती आखों के लिए उसने ईश्वर का कभी धन्यवाद नहीं किया था।
उसने भगवान से माफी मांगी और कहा इतना अनमोल शरीर देने के लिए आपका शुक्रिया. क्या आपने कभी अपनी आँखों, कान, नाक, मुह, शरीर से प्यार किया है? नहीं न? करोगे भी क्यों
भगवान ने इतना कीमती शरीर मुफ्त में जो दे दिया है। जो सुन नहीं सकता, बोल नहीं सकता, देख नहीं सकता और चल नहीं सकता कभी उसे जानने की कोशिश करना। तुम्हे सब फ़्री में मिला हुआ है इसलिए कद्र नहीं है।
किसी काम मे फेल हो जाते हो, कोई धोखा दे देता है, कोई काम मन अनुसार नहीं होता तो जीवन को व्यर्थ समझने लगते हो औऱ गलत करने की सोचने लगते हो। भाड़ में जाएं वो लोग जो तुम्हें समझ न सके। भाड़ में जाएं वो 2 कौड़ी की इच्छाएं जो पूरी न हो सकी। तुम्हें किसी
मन पर काबू कैसे करें? मन की एनर्जी एक दिशा में कैसे काम करेगी?
परिस्थिति या लोगों से डरने या दबने की कोई जरूरत नहीं है। किसी व्यक्ति या परिस्थिति को इतना महत्व न दो की तुम्हारी खुशी ही छीन ले ।
मरना एक दिन तय है। जीवन भले 1 दिन बाद तक का क्यूं न हो। चौड़े मर्द की तरह जीयो। जहां हो, जैसी परिस्थिति है वहीं से शुरुआत करो बीते कल से एक सीख लो और उसके बारे में सोचना बंद करके आगे बढ़ो। तुम्हारी ज़िन्दगी तुम खुद बदलोगे दूसरा कोई नहीं।
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